
हम भारतीयों का नृत्य, संगीत और गायन का एक लंबा और शानदार इतिहास रहा है। भाग्यशाली हैं कि हम इन प्रकार के प्रदर्शनों के माध्यम से अपने प्रदेश की सांस्कृतिक महिमा का प्रदर्शन करने में सक्षम हैं। ‘‘नाटय शास्त्र ‘‘ लिखते समय, हमारे प्राचीन विद्वान भरतमुनि ने शायद यह नहीं सोचा होगा कि उनके लेखन का रस और भाव सहस्राब्दियों तक चलेगा। भारतीय कला रूपों को संरक्षित किये हुए, पूर्वाचल भारत के सबसे प्राचीन क्षेत्रों में से एक है। यह उत्तर प्रदेश का एक भौगोलिक उप-क्षेत्र है जो बड़े भोजपुरी क्षेत्र के भीतर है। पूर्वाचल क्षे़त्र एक समृद्ध संस्कृति की विरासत है जिसमें आकर्षक लोक चित्र, लुभावने नृत्य और संगीत के रूप, इसके कण-कण में समाहित है।
गोरखपुर पूर्वांचल क्षेत्र में राप्ती नदी के किनारे बसा एक ऐतिहासिक शहर है। जहां संगीत, नृत्य, योग, उत्सव और हस्तशिल्प स्थानीय जीवन शैली एवं संस्कृति का हिस्सा है। गोरखपुर ने कई प्रख्यात कलाकारों, विद्वानों और प्रसिद्ध व्यक्तियों को जन्म दिया है जिन्होंने यहां अपनी छाप छोड़ी है और शहर की ख्याति में वृद्धि किया है। गोरखपुर का अपना विशेष सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व है। गोरखनाथ मंदिर, विष्णु मंदिर, गीता वाटिका, आरोग्य मंदिर, गीता प्रेस, गीता वाटिका और रामगढ़ताल कुछ प्रसिद्ध स्थान हैं जहाँ पर्यटक जाना पसंद करते हैं। लोक गीत और नृत्य गोरखपुर की परंपरा का एक लोकप्रिय हिस्सा हैं और विभिन्न त्योहारों में संगीत का आकर्षण होता है। विभिन्न धर्मो और संस्कृतियों का प्रवेश द्वारा होने के कारण, गोरखपुर धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के अपने सुनहरे इतिहास के लिए दुनिया में पहचाना जाता है।